महाकुंभ मेला 2025 प्रयागराज, 13 जनवरी से 26 फरवरी तक
40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुवो ने लगाई गंगा में डुबकी

कुंभ

शब्द का अर्थ “घड़ा” होता है, जो अमृत के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है कुम्भ स्नान यानि अमृत स्नान
प्राचीन काल से ही कुंभ मेला का आयोजन हिंदू धर्मग्रन्थों, पुराणों और लोक कथाओं में वर्णित है।
आज के कुंभ मेला में आधुनिक प्रौद्योगिकी, विशाल अवसंरचना और सुरक्षा प्रबंध शामिल हैं, जो इसे विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बनाते हैं।
इस मेले में विभिन्न अखाड़ों के नागा साधु, संत, और योगी शामिल होते हैं, जो अपनी अनूठी छवि और उपदेशों से श्रद्धालुओं को प्रेरित करते हैं।
कई लोग कहते हैं कि यहां स्नान करने से उन्हें आंतरिक शांति, मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होता है।
प्रयागराज में आयोजित कुंभ मेला भारतीय संस्कृति, आस्था और इतिहास का एक जीवंत संगम है।
चाहे आप आध्यात्मिक साधना में रुचि रखते हों या इतिहास के प्रेमी हों, कुंभ मेला का अनुभव हमेशा आपके जीवन में एक अनमोल याद के रूप में रहेगा।
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