
Ravi Kishan Actor & Neta Biography भोजपुरी स्टार से गोरखपुर सांसद तक
रवि किशन शुक्ला: एक बहुमुखी प्रतिभा का सफर
रविन्द्र श्यामनारायण शुक्ला उर्फ रवि किशन शुक्ला भारतीय सिनेमा जगत के एक ऐसे सितारे हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा और मेहनत से न सिर्फ भोजपुरी सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है, बल्कि हिंदी सिनेमा से लेकर राजनीति तक अपनी एक अलग पहचान बनाई है। आइए जानते हैं उनके जीवन की विस्तृत कहानी, जो प्रेरणा और संघर्ष से भरी है।
जन्म और प्रारंभिक जीवन
रवि किशन का जन्म 17 जुलाई 1969 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। उनका पूरा नाम रविंद्र किशन शुक्ला है। वह अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। उनके पिता, पंडित श्याम नारायण शुक्ला, एक पुजारी थे और उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के केराकत से ताल्लुक रखते थे। रवि किशन ने अपनी शुरुआती जिंदगी का कुछ हिस्सा उत्तर प्रदेश में बिताया, जहाँ उनका परिवार करीब सात साल रहा। उन्होंने मुंबई के रिजवी कॉलेज, बांद्रा वेस्ट से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की।
बचपन से ही रवि किशन का झुकाव अभिनय की ओर था। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वह छोटे थे, तो रामलीला में सीता का किरदार निभाया था, जिसके लिए उनके पिता ने उन्हें मारने की कोशिश की थी। उनकी माँ ने उन्हें घर से भागने की सलाह दी, और वह केवल 500 रुपये लेकर मुंबई आ गए। यह उनकी जिंदगी का वह मोड़ था जहाँ से उनके संघर्ष की शुरुआत हुई।
पारिवारिक जीवन
रवि किशन ने 10 दिसंबर 1993 को प्रीति शुक्ला से शादी की। उनके चार बच्चे हैं - एक बेटा और तीन बेटियाँ। उनकी बेटी रीवा किशन ने 2020 में "सब कुशल मंगल" फिल्म से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की है। और फिल्मों में काम कर रही हैं। रवि किशन अपने परिवार के बहुत करीब हैं और अक्सर सोशल मीडिया पर उनके साथ तस्वीरें साझा करते हैं। वह कहते हैं कि उनका परिवार उनकी सबसे बड़ी ताकत है।
अभिनय करियर की शुरुआत
रवि किशन ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1992 में हिंदी फिल्म "पितांबर" से की। यह फिल्म भले ही ज्यादा सफल नहीं हुई, लेकिन इसने उन्हें बॉलीवुड में कदम रखने का मौका दिया। शुरुआती दिनों में उन्हें छोटे-मोटे रोल मिलते थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 1996 में, उन्होंने फिल्म "आर्मी" में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे उन्हें थोड़ी पहचान मिली।
हालांकि, बॉलीवुड में संघर्ष जारी रहा, और एक समय ऐसा आया जब उन्हें भोजपुरी फिल्मों का ऑफर मिला। उन्होंने अपनी माँ से सलाह ली, और माँ ने कहा, "अपने गाँव के लोगों के लिए करो।" इसके बाद, उन्होंने भोजपुरी फिल्म "सइयां हमार" में काम किया, और वहाँ से उनका करियर एक नई ऊँचाई पर पहुँच गया। वह भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार बन गए।
रवि किशन ने 750 से अधिक फिल्मों में काम किया है, जिनमें हिंदी, भोजपुरी, तेलुगु, कन्नड़, और तमिल भाषाएँ शामिल हैं। उनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्में हैं - "तेरे नाम" (2003), "फिर हेरा फेरी" (2006), "लापता लेडीज" (2024), और "बाटला हाउस" (2019)।
रवि किशन की कुछ भोजपुरी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर बहुत सफल रही हैं। इनमें से कुछ प्रमुख फिल्मों का विवरण इस प्रकार है:
गंगा (2006): इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, रवि किशन, हेमा मालिनी, नगमा और मनोज तिवारी जैसे कलाकारों ने अभिनय किया था। इस फिल्म ने लगभग 35 करोड़ रुपये की कमाई की थी।
पंडित जी बताई ना बियाह कब होई (2005): रवि किशन और नगमा अभिनीत इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर लगभग 12 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया था।
देवरा बड़ा सतावेला (2010): रवि किशन, पवन सिंह, मोनालिसा, रानी चटर्जी और प्रदीप पांडे चिंटू जैसे सितारों से सजी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर लगभग 10 करोड़ रुपये की कमाई की थी.
टेलीविजन करियर
रवि किशन का टेलीविजन करियर भी काफी सफल रहा है। 2006 में, उन्होंने रियलिटी शो "बिग बॉस" में हिस्सा लिया और दूसरे रनर-अप रहे। इस शो ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई। इसके बाद, उन्होंने "झलक दिखला जा 5" (2012) में भी भाग लिया।
उन्होंने कई टीवी शोज को होस्ट भी किया है, जैसे "बाथरूम सिंगर," "नमन: एक सनसनी," और "एक से बढ़कर एक - जलवे सितारों के"। उन्होंने "राज पिछले जनम का" नामक रियलिटी शो को भी दो सीजन तक होस्ट किया। उनकी मजाकिया अंदाज और देसी स्टाइल ने दर्शकों का दिल जीत लिया।
राजनीतिक सफर
रवि किशन ने 2014 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) जॉइन की और उत्तर प्रदेश के जौनपुर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वह छठे स्थान पर रहे। 2017 में, उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) जॉइन कर ली। 2019 में, उन्होंने गोरखपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, जिससे वह संसद सदस्य बने।
उनकी जीत का अंतर 3,01,664 वोटों का था, जो उनकी लोकप्रियता को दर्शाता है। वह गरीबों की सेवा और सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। वह कहते हैं, "मैं अपने लोगों के लिए कुछ करना चाहता हूँ, जिन्होंने मुझे इतना प्यार दिया।"
पुरस्कार और सम्मान
रवि किशन को उनके अभिनय के लिए कई पुरस्कार मिले हैं। 2008 में, उन्हें ETV भोजपुरी सिनेमा सम्मान में सबसे लोकप्रिय अभिनेता का पुरस्कार मिला। 2017 में, उन्हें TSR TV9 नेशनल फिल्म अवॉर्ड में भोजपुरी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला। 2018 में, झारखंड अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में फिल्म "काशी अमरनाथ" के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला।
वर्तमान गतिविधियाँ
2025 तक, रवि किशन सक्रिय रूप से अभिनय और राजनीति दोनों क्षेत्रों में सक्रिय हैं। उनकी अपकमिंग फिल्मों में "सबवे" शामिल है, जो एक भोजपुरी फिल्म है। वे अपने राजनीतिक करियर में भी सक्रिय हैं और अपने संसदीय क्षेत्र गोरखपुर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
दिलचस्प तथ्य और व्यक्तिगत जीवन
रवि किशन के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य भी हैं। 2008 में, उन्होंने हॉलीवुड फिल्म "स्पाइडर-मैन 3" में टोबी मैग्वायर के किरदार को भोजपुरी में डब किया, जो पहली हॉलीवुड फिल्म थी जिसमें भोजपुरी डबिंग शामिल थी।
उन्होंने 2018 में अपनी प्रोडक्शन कंपनी "रविकिशन प्रोडक्शंस एंड मीडिया प्राइवेट लिमिटेड" की स्थापना की।
रवि किशन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वह मुंबई आए थे, तो उनके पास केवल 500 रुपये थे, और उन्हें 12 लोगों के साथ एक कमरा शेयर करना पड़ता था। लेकिन आज वह करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं और मुंबई में कई फ्लैट्स और लग्जरी कारों के मालिक हैं।
उनके पिता एक पुजारी थे, और फिल्म "तेरे नाम" में उन्होंने एक पुजारी की भूमिका निभाई, जिसके लिए उन्होंने अपने पिता से प्रेरणा ली। वह कहते हैं, "मेरे पिता की सादगी और ईमानदारी मेरे लिए हमेशा प्रेरणा रही।"
रवि किशन का एक प्रसिद्ध डायलॉग है - "जिंदगी झंडवा...फिर भी घमंडवा," जो उनकी जिंदादिली को बयां करता है।
निष्कर्ष
रवि किशन शुक्ला का जीवन प्रेरणादायक संघर्ष और सफलता की कहानी है। जौनपुर के एक साधारण परिवार से आने वाले इस कलाकार ने अपनी प्रतिभा और मेहनत से न सिर्फ भोजपुरी सिनेमा बल्कि हिंदी सिनेमा, दक्षिण भारतीय सिनेमा और राजनीति में भी अपना नाम रोशन किया है। उनकी बहुमुखी प्रतिभा और विभिन्न क्षेत्रों में योगदान ने उन्हें भारतीय मनोरंजन जगत का एक अनमोल हीरा बना दिया है। आज भी, वे लगातार नई ऊंचाइयों को छूने के लिए प्रयासरत हैं और अपने प्रशंसकों के दिलों में विशेष स्थान रखते हैं।
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