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Amiro Ka Dahej Film Review I NEW BHOJPURI MOVIE I KAJAL RAGHWANI

अमीरों का दहेज: एक सामाजिक संदेश के साथ भोजपुरी सिनेमा की नई पेशकश

नमस्ते दोस्तों! आज हम बात करने जा रहे हैं भोजपुरी सिनेमा की एक नई फिल्म "अमीरों का दहेज" के बारे में, जिसका ट्रेलर आज यानी 25 अप्रैल 2025 को यूट्यूब पर 'B4U Bhojpuri' चैनल से लॉन्च हुआ है। ट्रेलर देखकर लगता है कि ये फिल्म न सिर्फ मनोरंजन से भरी है, बल्कि दहेज जैसी सामाजिक बुराई पर भी जोरदार चोट करती है। तो चलिए, इस फिल्म के बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।

किरदार और कलाकारों की छवि

काजल राघवानी (मुख्य भूमिका) – हिम्मत, संवेदना और संकल्प की अद्भुत शख्सियत।
कुणाल तिवारी (IPएस अधिकारी) – समाज की बेडौल पर सच लाने वाला फौजीपन और नियमों का पक्का पहरेदार।

अमित शुक्ला, मेहनाज़ श्रॉफ, प्रकाश जैस, रम्भा साहनी, श्रद्धा नवल, रजनीश झांजी, सोनाली मिश्रा, श्वेता वर्मा, अशोक गुप्ता, लाल धरी – एक के बाद एक खलनायक और सहायक भूमिकाओं में दिलचस्पी बढ़ाते इमोशनल कॉन्ट्रास्ट।

तकनीकी पक्ष और निर्माण टीम
निर्देशक: मंजुल ठाकुर की सधी दृष्टि, जिन्होंने कहानी को यथार्थ के करीब लाया।
कांसेप्ट: संदीप सिंह की बुनियादी सोच, जिसने दहेज प्रथा पर सीधा प्रहार किया।
लेखक: सत्येंद्र सिंह की लयात्मक पटकथा, जो भावनाओं और थ्रिल का संगम है।
संगीत: ओम झा के सुर, अरविंद तिवारी व प्यारे लाल यादव के गीत, जो कहानी की धड़कन को बढ़ाते हैं।
छायांकन: सुनील आहेर ने हर दृश्य को जीवंत रोशनी और धुंधले अहसास में डाला।
पोस्ट-प्रोडक्शन – लोटस स्टूडियो
कोरियोग्राफर – सुदामा मिंज
आर्ट डायरेक्टर – राजा शर्मा
निर्माता संदीप सिंह, धीरेन्द्र कुमार झा व कुणाल तिवारी ने मिलकर इस प्रोजेक्ट को सशक्त कंटेंट देने का वादा किया है।


फिल्म की कहानी: एक नजर

सबसे पहले, आप ट्रेलर यहाँ देख सकते हैं: अमीरों का दहेज - ट्रेलर

फिल्म की कहानी काजल राघवानी के किरदार के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक अमीर बाप की बेटी है और एक सोशल वर्कर भी। वो दहेज की कुप्रथा को खत्म करने के लिए काम कर रही होती है। इसी बीच उसकी शादी एक बड़े खानदान में तय होती है, जहां हर शख्स सरकारी नौकरी में बड़ा अफसर है, और उसका पति एक IPS ऑफिसर है।

शादी के वक्त काजल के पिता दहेज देने की बात करते हैं, लेकिन काजल मना कर देती है, क्योंकि वो खुद इस बुराई के खिलाफ है। शादी हो जाती है, लेकिन फिर शुरू होता है पैसों का खेल। ससुराल वाले ड्रामा रचते हैं कि काजल के पति की नौकरी खतरे में है और उन्हें फटाफट 50 लाख रुपये चाहिए। काजल उनकी चाल समझ नहीं पाती और पिता से पैसे मंगवा देती है।

ऐसा बार-बार होता है। एक दिन काजल छुपकर सास की बात सुन लेती है, जो कहती है, "ई बहु न सोना के अंडा देबे वाला मुर्गी बिया।" ये सुनकर काजल को सच्चाई पता चलती है, और वो अपने घरवालों को सब बता देती है। लेकिन ससुराल वाले भंडा फूटने के डर से उसे मार डालते हैं।

यहाँ से कहानी में ट्विस्ट आता है। काजल का प्रेत बनकर ससुराल वालों को बर्बाद कर देता है। दूसरी तरफ, काजल का पिता कोर्ट में केस कर देता है। दहेज के लालच में पूरा घर तबाह हो जाता है।

फिल्म का संदेश

ये फिल्म सिर्फ मनोरंजन नहीं करती, बल्कि दहेज की कुप्रथा पर सवाल उठाती है। ये दिखाती है कि पैसों के लालच में कैसे रिश्ते और जिंदगियां बर्बाद हो जाती हैं। ट्रेलर में काजल का किरदार समाज को आईना दिखाता है।

"अमीरों का दहेज" एक ऐसी फिल्म है जो हंसाती है, रुलाती है, और सोचने पर मजबूर करती है। ये दहेज के खिलाफ एक बड़ी आवाज है। तो दोस्तों, इस फिल्म को जरूर देखें और अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को भी बताएं। समाज में बदलाव लाने के लिए ऐसे सिनेमा का साथ देना जरूरी है।

Written by - Sagar

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2025-04-25 20:21:55

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