
Anand Mohan Pandey: Comic Star of Bhojpuri Cinema - Hindi Biography
आनंद मोहन: भोजपुरी सिनेमा के कॉमेडियन सितारे
आनंद मोहन पांडे, जिन्हें हम सब प्यार से आनंद मोहन के नाम से जानते हैं, भोजपुरी सिनेमा के एक ऐसे सितारे हैं जिन्होंने अपनी हंसी-मजाक वाली अदाकारी और मधुर गायकी से लाखों दिलों पर राज किया है। उनकी जिंदगी की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं—संघर्ष से शुरू होकर सफलता तक का ऐसा सफर, जो हर किसी को प्रेरणा देता है।
जन्म और बचपन: मिट्टी से जुड़ी जड़ें
आनंद मोहन का जन्म 2 जनवरी 1972 को बिहार की राजधानी पटना में हुआ था। उनका पूरा नाम आनंद मोहन पांडे है, और वे एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता और दादा खेती-बाड़ी से जुड़े थे, जिसकी वजह से आनंद की जड़ें गांव की मिट्टी से गहरे तक जुड़ी रहीं। यही सादगी और जमीन से जुड़ाव उनकी शख्सियत का एक खास हिस्सा है, जो उनकी फिल्मों और गानों में भी नजर आता है।
बचपन से ही आनंद को संगीत से गहरा लगाव था। स्कूल के दिनों में वे सुबह 3 बजे उठकर हरमोनियम के साथ रियाज करते थे। उनकी मां अक्सर उन्हें प्रोत्साहन देती थीं कि "बेटा, गाना जारी रखो, ये तुम्हें एक दिन बड़ा नाम दिलाएगा।" और सचमुच, यही लगन उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बनी।
शिक्षा: किताबों से कला की ओर
आनंद मोहन ने अपनी शुरुआती पढ़ाई पटना में ही पूरी की। हालांकि, उनके स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई के बारे में ज्यादा जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने हाई स्कूल तक की पढ़ाई की और उसके बाद मनोरंजन की दुनिया में कदम रख दिया। लेकिन उनकी असली पढ़ाई तो संगीत और कला की थी, जो उन्होंने अपने जुनून और मेहनत से सीखी। हरमोनियम पर उनकी उंगलियां जादू बुनती थीं, और यही हुनर उन्हें आगे ले गया।
करियर की शुरुआत: भोजपुरी सिनेमा में पहला कदम
आनंद मोहन ने अपने करियर की शुरुआत साल 2000 के आसपास की थी, जब वे टी-सीरीज के साथ जुड़े। लेकिन उनकी जिंदगी का असली बदलाव तब आया, जब उन्हें अपनी पहली भोजपुरी फिल्म "राजा भोजपुरिया" में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म को पाने की कहानी भी बड़ी रोचक है। एक दिन मुंबई के खार में सुदीप स्टूडियो में लेखक-गीतकार विनय बिहारी से मिलने प्रोड्यूसर आलोक सिंह और डायरेक्टर अजीत श्रीवास्तव आए थे। संयोग से आनंद मोहन भी वहां मौजूद थे। उनकी बातचीत हुई, और उनकी प्रतिभा देखकर उन्हें फिल्म में रोल ऑफर कर दिया गया। बस, यहीं से उनका भोजपुरी सिनेमा का सफर शुरू हुआ।
"राजा भोजपुरिया" ने उन्हें पहचान दिलाई, और इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
फिल्मी करियर: हंसी और हुनर का संगम
आनंद मोहन भोजपुरी सिनेमा में अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाने जाते हैं। वे एक शानदार अभिनेता होने के साथ-साथ गायक भी हैं। उनकी ज्यादातर फिल्मों में वे कॉमेडी रोल निभाते हैं, जो लोगों को हंसाने में कभी नाकाम नहीं होते। उनकी कुछ मशहूर फिल्में हैं:
"चन्नू बाबू सिंगापुरी" (2013): इस फिल्म में उनकी कॉमेडी ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया।
"विलेन एक प्रेम कहानी" (2014): एक अलग अंदाज में उनकी एक्टिंग ने सबका ध्यान खींचा।
"विजय पथ एगो जंग" (2015): एक्शन और कॉमेडी का मिश्रण।
"गंगा पुत्र" (2015): भावनात्मक और हास्य से भरी कहानी।
"खून के इल्जाम" (2016): उनकी दमदार मौजूदगी।
"कसम पैदा करने वाले की" (2017): एक और हिट फिल्म।
इन फिल्मों ने उन्हें भोजपुरी सिनेमा का चहेता सितारा बना दिया। साल 2006 में फिल्म "प्यार के बंधन" के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन का BIF अवॉर्ड भी मिला, जो उनके करियर का एक सुनहरा पल था। लोग कहते हैं कि आनंद मोहन की कॉमेडी देखकर कोई भी अपनी हंसी नहीं रोक सकता।
गायकी का जादू: संगीत में भी कमाल
आनंद मोहन ने सिर्फ एक्टिंग में ही नहीं, बल्कि गायकी में भी अपनी छाप छोड़ी है। उनके गाने अक्सर बिहार की संस्कृति और सामाजिक मुद्दों को बयां करते हैं। साल 2003 में उनका गाना "कैसन बा जमाना कैसन सरकार बा" आया, जो बेरोजगारी पर सरकार की आलोचना करता था। इस गाने ने खूब सुर्खियां बटोरीं और लोगों के बीच चर्चा का विषय बना।
एक और मशहूर गाना "बिहार में जियल हराम हो गईल" था, जिसमें उन्होंने बिहार सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। इस गाने की वजह से विधानसभा में उनके खिलाफ विरोध भी हुआ, लेकिन आनंद ने कभी अपनी बात कहने से पीछे नहीं हटे। उनकी गायकी में एक खास बात ये है कि वो सीधे दिल से दिल तक जाती है।
बॉलीवुड का छोटा सा सफर
साल 2011 में आनंद मोहन ने बॉलीवुड में भी कदम रखा। उन्होंने फिल्म "डबल धमाल" में कुछ सीन शूट किए थे। लेकिन बाद में उनके सीन फिल्म से हटा दिए गए। इस घटना से उन्हें गहरा धक्का लगा, और उन्होंने फैसला किया कि वो बॉलीवुड में काम नहीं करेंगे। इस अनुभव ने उन्हें और मजबूती से भोजपुरी सिनेमा से जोड़ दिया।
निजी जिंदगी: परिवार और सादगी
आनंद मोहन का विवाह 5 जून 2002 को हुआ। वर्तमान में वे मुंबई में निवास करते हैं। हिंदी और भोजपुरी भाषाओं में उनकी पकड़ मजबूत है, और वे हिंदू धर्म का पालन करते हैं। वे अपनी निजी जिंदगी को लाइमलाइट से दूर रखना पसंद करते हैं। उनके करीबी बताते हैं कि वे एक सादगी भरे इंसान हैं, जो अपने परिवार के साथ वक्त बिताना पसंद करते हैं।
विवाद और चुनौतियां
आनंद मोहन का करियर बिना विवादों के नहीं रहा। उनके गानों में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर खुलकर बोलने की वजह से कई बार उन्हें आलोचना झेलनी पड़ी। 2003 के गाने "कैसन बा जमाना..." की वजह से कुछ नेताओं ने उनके खिलाफ बयान दिए। इसके अलावा, बॉलीवुड में उनके सीन कटने की घटना ने भी सुर्खियां बनाईं। लेकिन हर बार आनंद ने इन चुनौतियों का डटकर सामना किया और अपने काम पर फोकस रखा।
आज की स्थिति: एक नई शुरुआत
आज आनंद मोहन भोजपुरी सिनेमा के एक बड़े नाम हैं। उनकी फैन फॉलोइंग लाखों में है। हाल ही में उन्होंने भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह के साथ "गोलगप्पा के गपशप" नाम का एक शो शुरू किया है, जो 'कपिल शर्मा शो' की तर्ज पर बना है। इस शो के जरिए वे भोजपुरी इंडस्ट्री में बढ़ती अश्लीलता को कम करने की कोशिश कर रहे हैं, जो एक काबिल-ए-तारीफ कदम है।
आनंद सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहते हैं। उनका ऑफिशियल फेसबुक पेज है, जहां वे अपने फैंस से जुड़े रहते हैं और अपनी जिंदगी की छोटी-बड़ी बातें शेयर करते हैं।
निष्कर्ष: एक प्रेरणादायक शख्सियत
आनंद मोहन की जिंदगी हमें सिखाती है कि मेहनत और लगन से कोई भी अपने सपनों को हकीकत में बदल सकता है। एक मध्यमवर्गीय परिवार से निकलकर भोजपुरी सिनेमा का सितारा बनना आसान नहीं था, लेकिन आनंद ने ये कर दिखाया। उनकी कॉमेडी, गायकी, और सादगी ने उन्हें लोगों का चहेता बनाया। उनकी कहानी हर उस शख्स के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों के लिए जूझ रहा है।
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