Chait Navami: Importance of nine forms of Maa Durga, fasting method and worship method
चैत्र नवरात्रि: माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पावन पर्व
आज हम बात करेंगे चैत्र नवमी के बारे में, जिसे राम नवमी के नाम से भी जाना जाता है। ये हिंदू धर्म का एक खास और पवित्र पर्व है, जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था, और ये दिन चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन के रूप में भी बहुत खास है।चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक नौ दिनों तक मनाया जाता है। यह पर्व वसंत ऋतु के आगमन और नवसंवत्सर (हिंदू नववर्ष) की शुरुआत का प्रतीक है।
पुराने ग्रंथों में चैत्र नवरात्रि का उल्लेख
चैत्र नवमी और नवरात्रि का जिक्र कई पुराने ग्रंथों में मिलता है। जैसे कि देवी भागवत पुराण में लिखा है कि भगवान राम ने रावण से युद्ध से पहले नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की थी। इससे उन्हें शक्ति मिली और वो विजयी हुए। इसके अलावा, रामायण और रामचरितमानस में भी भगवान राम के जन्म की बात कही गई है। वाल्मीकि रामायण के मुताबिक, भगवान राम का जन्म चैत्र मास की शुक्ल नवमी को, पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में हुआ था।
मार्कंडेय पुराण: देवी महात्म्य (दुर्गा सप्तशती) में माँ दुर्गा के नौ रूपों और उनके द्वारा राक्षसों के वध का वर्णन है।
स्कंद पुराण: इसमें नवरात्रि के दोनों प्रकार (चैत्र और शारदीय) का उल्लेख है। चैत्र नवरात्रि को "वासंती नवरात्रि" भी कहा गया है।
रामचरितमानस: भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई से पहले शारदीय नवरात्रि में दुर्गा पूजा की थी, लेकिन चैत्र नवरात्रि का संबंध ब्रह्माजी द्वारा सृष्टि की रचना से माना जाता है।
वेदों में: ऋग्वेद में देवी को "शक्ति" कहा गया है, जो नवरात्रि के आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है।
प्राचीन ग्रंथों में देवी के स्वरूपों की चर्चा है, परंतु यह पर्व मौखिक परंपरा और लोककथाओं के रूप में विकसित हुआ है।
समय के साथ इस पर्व में स्थानीय रीति-रिवाज और सामाजिक मान्यताएँ जुड़ गईं, जो आज के रूप में प्रकट होती हैं।
पहली बार कब मनाया गया?
चैत्र नवमी या नवरात्रि को कब से मनाया जा रहा है, इसका ठीक-ठीक समय बताना मुश्किल है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि ये पर्व प्राचीन काल से, शायद सतयुग से ही मनाया जा रहा है। ग्रंथों में इसके शुरुआती उल्लेख साफ तारीख के साथ नहीं मिलते, पर ये पक्का है कि ये बहुत पुरानी परंपरा है।
राम नवमी का उत्सव भक्ति आंदोलन (लगभग 12वीं-17वीं शताब्दी) के दौरान लोकप्रिय हुआ। मान्यता है कि अयोध्या में राजा दशरथ के समय से ही राम के जन्मदिन को मनाया जाता था, लेकिन व्यापक रूप से इसका प्रचलन तुलसीदास जी द्वारा रामचरितमानस लिखने के बाद हुआ।
चैत्र नवमी के पीछे की कथाएं
इस पर्व से जुड़ी कई रोचक कहानियां हैं। आइए, दो खास कथाओं को देखें:
- महिषासुर का वध: एक कथा के अनुसार, महिषासुर नाम का राक्षस धरती पर बहुत उत्पात मचाने लगा था। उसे वरदान था कि कोई देवता या दानव उसे मार नहीं सकता। तब सभी देवताओं ने अपनी शक्तियां मिलाकर देवी दुर्गा को बनाया। देवी ने नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया और आखिरकार उसे मार डाला। ये घटना चैत्र मास में हुई थी, और तभी से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत मानी जाती है।
- राम और रावण का युद्ध: दूसरी कथा भगवान राम से जुड़ी है। जब राम जी को लंका पर चढ़ाई करनी थी, तो उन्होंने रावण को हराने के लिए देवी दुर्गा की पूजा की। नौ दिनों की पूजा के बाद, देवी ने उन्हें आशीर्वाद दिया और राम जी ने रावण का वध किया। इसीलिए चैत्र नवमी को राम नवमी के रूप में भी मनाते हैं।
राजा दशरथ की पुत्रेष्टि यज्ञ: संतान प्राप्ति के लिए दशरथ ने ऋषि वशिष्ठ की सलाह पर यज्ञ किया। यज्ञ से प्राप्त खीर को तीनों रानियों (कौशल्या, कैकेयी, सुमित्रा) ने ग्रहण किया, जिससे राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।
चैत्र नवमी को राम नवमी क्यों कहते हैं? क्योंकि इसी दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। राम जी को भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है। उनका जन्म धरती पर धर्म को फिर से स्थापित करने और अधर्म को खत्म करने के लिए हुआ था। रामायण के अनुसार, राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र के रूप में उनका जन्म हुआ। इस दिन लोग राम जी की पूजा करते हैं, उनके भजन गाते हैं और उनके जीवन से सीख लेते हैं।
इसे क्यों और किस उद्देश्य से मनाते हैं?
चैत्र नवमी मनाने के पीछे कई खूबसूरत मकसद हैं:
- राम जन्म का उत्सव: इस दिन भगवान राम के जन्म की खुशी मनाई जाती है। लोग उनके गुणों जैसे सत्य, धैर्य और दया को याद करते हैं।
- शक्ति की आराधना: नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा से हमें शक्ति, साहस और आत्मविश्वास मिलता है।
- अच्छाई की जीत: ये पर्व हमें सिखाता है कि चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, सच्चाई और धर्म की हमेशा जीत होती है।
अंधकार पर प्रकाश की जीत: रावण वध के माध्यम से बुराई पर अच्छाई की विजय।
आध्यात्मिक शुद्धि: व्रत और पूजा से मन-शरीर को पवित्र करना।
शक्ति की प्राप्ति: देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा से भक्तों में शक्ति, साहस और आत्मविश्वास का संचार होता है।
नए आरंभ का संदेश: चैत्र नवरमी न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि प्राकृतिक परिवर्तन (वसंत ऋतु का आगमन) के साथ भी नए जीवन और उम्मीद का प्रतीक है।
नवमी व्रत कैसे रखें और क्या करें?
चैत्र नवमी और नवरात्रि में व्रत रखना बहुत खास माना जाता है। व्रत रखने का तरीका कुछ ऐसा है:
- सुबह की तैयारी: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। पीले या लाल रंग के साफ कपड़े पहनें।
- संकल्प: व्रत का संकल्प लें। पूजा की जगह को गंगाजल से शुद्ध करें।
- पूजा: भगवान राम या देवी दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को लाल कपड़े पर रखें। तुलसी के पत्ते, कमल के फूल और धूप-दीप से पूजा करें।
- उपवास: व्रत में नमक, अनाज और भारी भोजन नहीं खाया जाता। फल, दूध, साबूदाना या हल्का खाना खा सकते हैं। कुछ लोग पूरा दिन बिना कुछ खाए रहते हैं और शाम को फलाहार करते हैं।
- भक्ति: पूजा के बाद आरती करें, मंत्र जपें और भजन गाएं।
कन्या पूजन: अष्टमी या नवमी को नौ कन्याओं को भोजन कराकर उनके पैर छूए जाते हैं।
नौ दिनों तक किन-किन माताओं की पूजा होती है?
चैत्र नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन का विशेष महत्व है:
दिन 1: शैलपुत्री
पहचान: हिमालय की पुत्री, वृषभ (बैल) पर सवार, त्रिशूल और कमल धारण।
मंत्र: ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।
भोग: घी का भोग लगाएं।
दिन 2: ब्रह्मचारिणी
पहचान: तपस्विनी रूप, हाथ में जप माला और कमंडल।
मंत्र: ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः।
भोग: शक्कर या मिश्री का प्रसाद।
दिन 3: चंद्रघंटा
दिन 4: कुष्मांडा
दिन 5: स्कंदमाता
दिन 6: कात्यायनी
पहचान: महिषासुर का वध करने वाली योद्धा रूप, सिंह पर सवार।
मंत्र: ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।
भोग: शहद या मधु युक्त प्रसाद।
दिन 7: कालरात्रि
पहचान: भयंकर रूप, गधे पर सवार, हाथ में खड्ग और लौह कांटा।
मंत्र: ॐ देवी कालरात्र्यै नमः।
भोग: गुड़ या नारियल।
दिन 8: महागौरी
पहचान: श्वेत वस्त्र धारण, शांत मुद्रा में, हाथ में डमरू और त्रिशूल।
मंत्र: ॐ देवी महागौर्यै नमः।
भोग: नारियल या खीर।
दिन 9: सिद्धिदात्री
पहचान: सिद्धियों की दात्री, कमल पर विराजमान, चार भुजाएँ।
मंत्र: ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।
भोग: तिल या काले चने का प्रसाद।
निष्कर्ष
चैत्र नवमी, यानी राम नवमी, एक ऐसा पर्व है जो भगवान राम के जन्म की खुशी और देवी दुर्गा की शक्ति को एक साथ जोड़ता है। ये हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म के रास्ते पर चलकर हम हर मुश्किल को पार कर सकते हैं। व्रत, पूजा और भक्ति से हम अपने अंदर नई ऊर्जा भरते हैं।
Written by - Sagar
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