
Rakesh Pandey भोजपुरी और हिंदी सिनेमा का सितारा अस्त हो गया
राकेश पांडेय: हिंदी और भोजपुरी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता की जीवनी
राकेश पांडेय एक ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने हिंदी और भोजपुरी सिनेमा में अपनी अद्भुत प्रतिभा और समर्पण से एक विशेष स्थान बनाया। उनकी बहुमुखी अभिनय शैली और दशकों तक फैले करियर ने उन्हें भारतीय फिल्म और टेलीविजन उद्योग में एक सम्मानित व्यक्तित्व बनाया। उनके जन्म से लेकर आज, 22 मार्च, 2025 को उनके निधन तक, जब उन्होंने मुंबई के जुहू स्थित आरोग्य निधि अस्पताल में अंतिम सांस ली।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
राकेश पांडेय का जन्म 9 अप्रैल, 1940 को हरियाणा के अंबाला में हुआ था। उनके जन्म के बाद उनका परिवार हिमाचल प्रदेश के नाहन शहर में स्थानांतरित हो गया, जहाँ उन्होंने अपने बचपन और किशोरावस्था के दिन बिताए। नाहन में रहते हुए, उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा शमशेर हाई स्कूल से प्राप्त की और 1961 में हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की। यह वह समय था जब उनकी रुचि कला और अभिनय की ओर बढ़ने लगी थी।
हाई स्कूल के बाद, राकेश ने अभिनय को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया। उन्होंने लखनऊ स्थित भारतेंदु अकादमी ऑफ़ ड्रामेटिक आर्ट्स में दाखिला लिया, जहाँ उन्होंने नाटक और रंगमंच की बारीकियों को सीखा। इस प्रशिक्षण ने उनके अभिनय कौशल को निखारा और उन्हें एक मजबूत आधार प्रदान किया। इसके बाद, वे पुणे के भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII) में गए, जो उस समय भारत का एक प्रमुख फिल्म प्रशिक्षण संस्थान था। हालांकि, 1966 में उन्होंने FTII छोड़ दिया और भारतीय जन नाट्य संघ (IPTA) में शामिल हो गए। IPTA एक ऐसा मंच था जो प्रगतिशील विचारों और सामाजिक मुद्दों को रंगमंच के माध्यम से प्रस्तुत करता था, और यहाँ से उनके अभिनय करियर की नींव पड़ी।
करियर की शुरुआत और सफलता
राकेश पांडेय ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1969 में की, जब वे बासु चटर्जी द्वारा निर्देशित फिल्म "सारा आकाश" में नजर आए। यह फिल्म राजेंद्र यादव के उपन्यास पर आधारित थी और इसमें राकेश के अभिनय ने दर्शकों और समीक्षकों का ध्यान आकर्षित किया। इस फिल्म में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो उनके करियर का पहला बड़ा सम्मान था। इस सफलता ने उन्हें हिंदी सिनेमा में एक उभरते सितारे के रूप में स्थापित कर दिया।
1970 के दशक में, राकेश ने कई हिंदी फिल्मों में काम किया। उनकी कुछ प्रमुख फिल्मों में शामिल हैं:
- "राखवाला" (1971) - जिसमें उन्होंने सुरेश की भूमिका निभाई।
- "ज़िंदगी" (1976) - जहाँ वे रमेश आर. शुक्ला के किरदार में नजर आए।
- "इंडियन" (2001) - जिसमें उन्होंने RAW चीफ की भूमिका अदा की।
इन फिल्मों के माध्यम से उन्होंने अपनी बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित किया और विभिन्न प्रकार के किरदारों को जीवंत करने की क्षमता दिखाई।
टेलीविजन करियर
हिंदी सिनेमा के साथ-साथ, राकेश पांडेय ने टेलीविजन पर भी अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने कई लोकप्रिय धारावाहिकों में काम किया, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- "छोटी बहू" - एक पारिवारिक ड्रामा जिसमें उनकी भूमिका दर्शकों को पसंद आई।
- "देहलीज" - एक और लोकप्रिय सीरियल जिसमें उन्होंने अपने अभिनय से प्रभावित किया।
- "प्यार के दो नाम: एक राधा, एक श्याम" (2006) - इसमें उन्होंने बृज किशोर की भूमिका निभाई, जो राधा के पिता थे।
- "शक्तिमान" (2002) - इस प्रतिष्ठित सुपरहीरो सीरियल में उन्होंने पंडित विद्याधर शास्त्री का किरदार निभाया, जो शक्तिमान के दत्तक पिता थे।
- "कहकशान" (1992) - एक टीवी मिनी-सीरीज जिसमें उन्होंने उर्दू कवि मजाज़ लखनवी की भूमिका अदा की।
इन धारावाहिकों ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई और उनकी लोकप्रियता को बढ़ाया।
भोजपुरी सिनेमा में योगदान
राकेश पांडेय का योगदान केवल हिंदी सिनेमा तक सीमित नहीं था; वे भोजपुरी सिनेमा के भी एक महत्वपूर्ण स्तंभ थे। उन्होंने कई भोजपुरी फिल्मों में अभिनय किया और इस क्षेत्रीय सिनेमा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में मदद की। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक थी चौथे भोजपुरी फिल्म पुरस्कारों में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त करना, जो उनके भोजपुरी सिनेमा में योगदान का सम्मान था।
इसके अलावा, वे पहले भोजपुरी टीवी धारावाहिक "सांची पिरिटिया" में भी नजर आए, जिसने भोजपुरी टेलीविजन के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा। उनकी ये उपलब्धियाँ दर्शाती हैं कि वे न केवल एक अभिनेता थे, बल्कि भोजपुरी संस्कृति और सिनेमा के संरक्षक भी थे।
व्यक्तिगत जीवन
राकेश पांडेय ने अपने निजी जीवन को हमेशा सुर्खियों से दूर रखा। उनके परिवार, विवाह, या बच्चों के बारे में ज्यादा जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि वे अपने पेशेवर जीवन को प्राथमिकता देते थे और अभिनय को ही अपनी पहचान बनाना चाहते थे। उनके सहयोगियों और प्रशंसकों के बीच वे एक सौम्य और समर्पित व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे, जो अपने काम के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध थे।
निधन और विरासत
22 मार्च, 2025 को, राकेश पांडेय का मुंबई के जुहू स्थित आरोग्य निधि अस्पताल में हृदयाघात के कारण निधन हो गया। उस समय उनकी उम्र 84 वर्ष थी। उनके निधन की खबर ने फिल्म उद्योग और उनके प्रशंसकों को गहरा सदमा पहुँचाया। उनकी मृत्यु ने हिंदी और भोजपुरी सिनेमा के एक सुनहरे युग का अंत कर दिया।
राकेश पांडेय अपने प्रभावशाली अभिनय और समर्पण के लिए हमेशा याद किए जाएँगे। उनकी यात्रा—अंबाला में जन्म से लेकर नाहन में पढ़ाई, और फिर हिंदी और भोजपुरी सिनेमा में एक दिग्गज अभिनेता बनने तक—प्रेरणा का स्रोत है। वे उन कलाकारों में से थे जिन्होंने अपनी कला के माध्यम से समाज को प्रभावित किया और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल कायम की।
उनके प्रशंसक और सहकर्मी उनकी सादगी, मेहनत और अभिनय के प्रति जुनून को हमेशा याद रखेंगे। राकेश पांडेय का नाम भारतीय सिनेमा के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।
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